aलोक
हम खेलने लगे विगन से
एक बॉक्स ओर एक सब्द
बाते जो होने लगी
शब्दों से
प्रेम का पेगाम
आने लगा
शब्दों से
हम फिर बॉक्स के मध्यम से
पहुच गए नये कलयुग मे
प्रेम पत्र veg रही अंजन कों
हर छार हो रही है पुरी
एक बॉक्स मे
ज्बबो के प्रतिजबाब
श्बोतो के प्रति शब्द
आ रही हमारी जहाँn कों
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