शनिवार, 5 अप्रैल 2008

मध्यूपूर्व में महिलाओं का एकमात्र होटल


सऊदी अरब के शहर रियाध में एक होटल खुला है जो मध्यूपूर्व में अकेला ऐसा होटल है जहाँ सिर्फ़ महिलाएँ जा सकती हैं. हमारी धार्मिक मामलों की संवाददाता फ़्रांसेस हैरिसन का कहना है कि महिलाओं के लिए होटल और परिवहन सेवाएँ दुनिया भर में बढ़ते हुए व्यापार का रूप ले रही हैं.

नक्शे पर देखिए भारत में लिंग अनुपात



वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लिंग अनुपात
लिंग अनुपात की राष्ट्रीय दर- 933
# नक्शे में लिखे गए अंक के समकक्ष प्रदेश और केंद्रित शासित प्रदेश का नाम नीचे लिखा गया है.
वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लिंग अनुपात:
( कोष्ठक में दिया गया आँकड़ा 1991 की जनगणना का है)
1. अरुणाचल प्रदेश- 901 (859)2. नगालैंड- 909 (886)3. मणिपुर- 978 (958)4. मिज़ोरम- 938 (921)5. त्रिपुरा -950 (945)6. मेघालय- 975 (955)7. असम -932 (923)8. पश्चिम बंगाल- 934 (917)9. झारखंड- 941 (922)10.उड़ीसा- 972 (971)
11. छत्तीसगढ़ -990 (985)12.मध्य प्रदेश- 920 (912)13.गुजरात -921 (934)14.दमन एवं दीव -709 (969)15.दादर एवं नगर हवेली- 811 (952)16.महाराष्ट्र- 922 (934)17.आंध्र प्रदेश -978 (972)18.कर्नाटक- 964 (960)19.गोवा -960 (967)20.लक्ष्यद्वीप- 947 (943)
21.केरल- 1058 (1036)22.तमिलनाडु- 986 (974)23.पांडिचेरी- 1001 (979)24.जम्मू और कश्मीर- 900( 876)25.हिमाचल प्रदेश- 970 (976)26.पंजाब- 874 (882)27.चंडीगढ़- 773 (790)28.उत्तराखंड -964 (936)29.हरियाणा- 861 (865)30.दिल्ली- 821 (827)31.राजस्थान- 922 (910)32.उत्तर प्रदेश- 898 (876)33.बिहार -921 (907)34. सिक्कम- 875 (878)35.अंडमान निकोबार द्वीप समूह 846 (818)

महिला राष्ट्रपति वाले देश में महिलाएँ असुरक्षित


वन्दानाबीबीसीसंवाददाता
“भारत की राष्ट्रपति एक महिला है?...इट्स ग्रेट. मेरे देश में तो अब तक ऐसा नहीं हो पाया है, पता नहीं होगा भी या नहीं.” कुछ दिन पहले एक अमरीकी मित्र को गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड की सलामी लेते हुई भारतीय राष्ट्रपति की तस्वीरें दिखा रही थी. भारत की राष्ट्रपति एक महिला है. ...अब तक इस तथ्य से अंजान उस अमीरीकी मित्र के मुँह से बस यही प्रतिक्रिया निकल रही थी.- इट्स ग्रेट, ए मैटर ऑफ़ ऑनर, यूयर इकॉनोमी इज़ डूइंग ग्रेट ओल्सो. अमरीका और फ़्रांस जैसे दुनिया के कई विकसित देशों में भी अब तक महिला राष्ट्रपति नहीं हुई हैं. भारत के लिए फ़ख़्र की बात तो है-मन ही मन ये सोचकर मैं मंद मंद मुस्कुरा रही थी.
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लेकिन उसकी एक अन्य साथी की टिप्पणी ने मुझे तस्वीर के दूसरे पहलू पर ग़ौर करने को मजबूर किया. लंबे भारत प्रवास से लौटी उस महिला का अनुभव कुछ ख़ास अच्छा नहीं था. तल्ख़ लहजे में उसने पूछा- क्या ज़्यादातर महिलाओं के साथ भारत में ऐसा ही बर्ताव होता है.
महिला दिवस पर विशेष सामग्री
इस आवाज़ की तल्ख़ी देर तक कानों में गूँजती रही. ज़ाहिर है तस्वीर के इस रुख़ को नज़रअंदाज़ करना मुमकिन नहीं. जवाब ढूँढने के लिए रोज़मर्रा की ज़िंदगी में झाँकने, अख़बारों की सुर्खियों और टीवी चैनलों की हेडलाइन पर नज़र डालने भर की ज़रूरत है. छेड़छाड़, बदसलूकी, बलात्कार, घर में प्रताड़ना...देश में जैसी एक सकारात्मक कहानी के पीछे कई कही-अनकही नकारात्मक कहानियाँ छिपी रहती हैं. अपराधों की 36617 बदसलूकी के मामले, 19348 बलात्कार, 17414 अपहरण, 7618 दहेज से जुड़े मामलों में मौतें और 63128 प्रताड़ना के मामले -राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो की ताज़ा रिपोर्ट (वर्ष 2006) के आँकड़े भयावह तस्वीर पेश करते हैं. वर्ष 2006 में महिलाओं के प्रति अपराध के कुल एक लाख 64 हज़ार 765 मामले दर्ज किए गए. वर्ष 2005 में 1,55,553 मामले दर्ज हुए यानि वर्ष 2005 के मुकाबले 2006 में 5.9 फ़ीसदी को बढ़ोत्तरी. और 2002 के मुकाबले 15.2 की वृद्धि. बलात्कार भारत में इस समय सबसे तेज़ी से बढ़ता अपराध है. एक अनुमान के मुताबिक 1971 के बाद से बलात्कार की घटनाओं में 678 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. राष्ट्रीय रिकॉर्ड्स अपराध ब्यूरो की नई रिपोर्ट में अगर बलात्कार करने वालों के प्रोफ़ाइल का अध्ययन करें तो परेशान करने वाले तथ्य सामने आते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बलात्कार करने वालों में से 75 फ़ीसदी लोग जान-पहचान वाले होते हैं जिसमें परिवार के सदस्य, अभिभावक, पड़ोसी और रिश्तेदार शामिल हैं. महज़ आँकड़ें नहीं हैं ये...स्रोत:राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्डस yooro
भारत में रहने वाली महिलाएँ तो अपराधों का शिकार बनती ही हैं, पिछले कुछ सालों में विदेशी महिला सैलानियों के साथ आपराधिक मामले भी तेज़ी से बढ़े हैं- गोवा और राजस्थान जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों से ऐसे कई मामले सामने आए हैं. अपराधों का ये सिलसिला कस्बों और नगरों में ही नहीं है, बड़े शहरों का भी हाल बुरा है. राष्ट्रीय अपराध दर 14.7 के मुकाबले शहरों में अपराध की दर 20.3 प्रतिशत है. देश की राजधानी दिल्ली का हाल सबसे बुरा है. जहाँ देश की राजधानी ही इतनी असुरक्षित हो, वहाँ दूसरी जगहों पर क्या अपेक्षा की जा सकती है. 167.7 की राष्ट्रीय अपराध दर के मुकाबले दिल्ली में ये दर 357.2 है यानी दोगुनी. हर साल आने वाले तमाम ऑंकड़ों की लंबी चौड़ी फ़ेहरिस्त में ये महज़ एक अन्य सूची नहीं है. इन अपराधों के पीछे सामाजिक, क़ानूनी और सांस्कृतिक..कई कारण हैं. समाज इसका दोष क़ानून पर डालकर फ़ारिग हो जाता है तो क़ानून सामाजिक बदलाव की दुहाई देता है.ये सच है कि आज भारत की राष्ट्रपति महिला है, दुनिया की सबसे ताक़तवर महिलाओं की सूची में भारत की सोनिया गांधी का नंबर छठा है, सानिया मिर्ज़ा विश्व की शीर्ष टेनिस खिलाड़ियों में से एक हैं, महिलाएँ आज कई ऐसे पेशों में धाक जमा रही हैं जहाँ पहले उन्होंने कभी क़दम नहीं रखा. इसमें बेशक हमें गर्व महसूस करना चाहिए. लेकिन इस बदलते, चमकते, आर्थिक प्रगति करते भारत में महिलाओं का एक वर्ग आज भी हाशिए पर रहता है, असुरक्षित है. काश के भारत इन्हें भी स्वाभिमान भरा सुरक्षित जीवन दे पाए ताकि दोबारा कोई आकर ये न पूछे कि क्या भारत में महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव होता है जैसा उस विदेशी सैलानी ने पूछा था.

'विवाहेतर संबंधों पर झूठ बोलना स्वीकार्य'

महिलाएँ अपने सम्मान की रक्षा के लिए विवाहेतर संबंधों के बारे में झूठ बोल सकती हैं: अदालत
इटली की सर्वोच्च अदालत ने फ़ैसला सुनाया है कि महिलाएँ अपने विवाहेतर संबंधों के बारे में झूठ बोल सकती हैं, फिर वह चाहे न्यायिक जाँच का मामला ही क्यों न हो. अदालत ने तर्क दिया है कि महिलाएँ अपने सम्मान की रक्षा के लिए ऐसा कर सकती हैं. ये फ़ैसला एक 48-वर्षीय महिला कार्ला की अपील स्वीकार करते समय सुनाया गया है जिसे पुलिस को झूठा बयान देने के लिए दोषी ठहराया गया था.
मामला कार्ला के अपने प्रेमी गियोवानी को अपना मोबाइल फ़ोन देने का था. महिला के प्रेमी गियोवानी ने उस फ़ोन का इस्तेमाल महिला के पति विनसेंजो को कॉल करके उसका अपमान करने के लिए इस्तेमाल किया. कार्ला और उनके पति विनसेंजो के संबंध बिगड़े हुए थे. 'क़ानून का उल्लंघन नहीं किया'
पहले स्थानीय अदालत में मामला चला और उस समय कार्ला के प्रेमी गियोवानी को गालियाँ देने का दोषी पाया गया. साथ ही कार्ला को इस अपराध में उनका साथ देने का दोषी पाया गया था.
लेकिन कार्ला की अपील सुनने वाली अदालत ने ये मानने से इनकार कर दिया कि महिला ने क़ानून का उल्लंघन किया है. अदालत का कहना था कि यदि विवाहेतर संबंध के छिपाने के लिए सच्चाई से कुछ छेड़छाड़ की भी गई तो ऐसा करना क़ानूनी रूप से वैध था. अदालत का ये भी मानना था कि ऐसा न किया गया होता तो इससे दोस्तों और परिवार के सदस्यों के बीच महिला के सम्मान को क्षति पहुँचती.
फ़िलहाल ये स्पष्ट नहीं है कि ये आदेश पुरुषों पर भी भी इसी तरह से लागू होगा या नहीं.

'नहीं थमा है महिलाओं के साथ भेदभाव'

रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का पालन हर देश नहीं कर रहे हैं संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के लगभग हर देश में महिलाओं के साथ भेदभाव बरता जाता है और ग़रीबों में 70 फ़ीसदी महिलाएँ हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की कुल उपयोगी भूमि का सिर्फ़ एक फ़ीसदी महिलाओं के नाम दर्ज है.ये रिपोर्ट तैयार की है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त लुईज़ आर्बर ने. उनका कहना है कि शादी शुदा ज़िंदगी में महिलाओं के साथ बलात्कार बदस्तूर जारी है और 53 देशों ने अभी तक इसे अपराध नहीं माना है. रिपोर्ट कहती है कि संयुक्त राष्ट्र के 185 सदस्य देशों ने वादा किया था कि वे वर्ष 2005 तक उन सभी क़ानूनों को ख़त्म कर देंगे जो पुरुषों के पक्ष में झुके हुए हैं लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है. कई देशों में लड़कियों और लड़कों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र सीमा अलग-अलग है जहाँ लड़कियों की उम्र सीमा हमेशा कम रखी जाती है फ़रेडा bada रिपोर्ट तैयार करने में मदद करने वाली फ़रेडा बांडा ने पत्रकारों से कहा कि तलाक़, मातृत्व सुविधाओं और पेंशन से संबंधित क़ानून महिलाओं के साथ भेद-भाव करता हैं. उन्होंने अलग-अलग देशों में शादी के लिए लड़कियों की क़ानूनी उम्र सीमा पर टिप्पणी करते हुए कहा, "कई देशों में लड़कियों और लड़कों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र सीमा अलग-अलग है जहाँ लड़कियों की उम्र सीमा हमेशा कम रखी जाती है." बांडा का कहना है, "उदाहरण के लिए अगर किसी लड़की की शादी 14 साल में होती है तो इससे उसकी शिक्षा पर असर पड़ता है और जल्दी बच्चे पैदा होते हैं." रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों का हर देश में पालन नहीं किया जा रहा है.