शनिवार, 5 अप्रैल 2008

'नहीं थमा है महिलाओं के साथ भेदभाव'

रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का पालन हर देश नहीं कर रहे हैं संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के लगभग हर देश में महिलाओं के साथ भेदभाव बरता जाता है और ग़रीबों में 70 फ़ीसदी महिलाएँ हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की कुल उपयोगी भूमि का सिर्फ़ एक फ़ीसदी महिलाओं के नाम दर्ज है.ये रिपोर्ट तैयार की है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त लुईज़ आर्बर ने. उनका कहना है कि शादी शुदा ज़िंदगी में महिलाओं के साथ बलात्कार बदस्तूर जारी है और 53 देशों ने अभी तक इसे अपराध नहीं माना है. रिपोर्ट कहती है कि संयुक्त राष्ट्र के 185 सदस्य देशों ने वादा किया था कि वे वर्ष 2005 तक उन सभी क़ानूनों को ख़त्म कर देंगे जो पुरुषों के पक्ष में झुके हुए हैं लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है. कई देशों में लड़कियों और लड़कों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र सीमा अलग-अलग है जहाँ लड़कियों की उम्र सीमा हमेशा कम रखी जाती है फ़रेडा bada रिपोर्ट तैयार करने में मदद करने वाली फ़रेडा बांडा ने पत्रकारों से कहा कि तलाक़, मातृत्व सुविधाओं और पेंशन से संबंधित क़ानून महिलाओं के साथ भेद-भाव करता हैं. उन्होंने अलग-अलग देशों में शादी के लिए लड़कियों की क़ानूनी उम्र सीमा पर टिप्पणी करते हुए कहा, "कई देशों में लड़कियों और लड़कों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र सीमा अलग-अलग है जहाँ लड़कियों की उम्र सीमा हमेशा कम रखी जाती है." बांडा का कहना है, "उदाहरण के लिए अगर किसी लड़की की शादी 14 साल में होती है तो इससे उसकी शिक्षा पर असर पड़ता है और जल्दी बच्चे पैदा होते हैं." रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों का हर देश में पालन नहीं किया जा रहा है.

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