शनिवार, 3 मई 2008

अति सुन्दर काया

अलोका
आखे जो झील मे दुबे हो
कमर के सुन्दरता
मेरी अक्खो मे घूमती हो
पुरा का पुर संसार
कायल हो गया
झील सी आखो मे

कोई टिप्पणी नहीं: