शनिवार, 5 जुलाई 2008

महिलाओं के गरीबी और भूख को मिटाने नरेगा कारगर नही हैं।

अलोका


2 फरवरी, 2006 से देश के 200 जिलों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 2005 लागू हो चुका है। झारखंड के 22 जिलों में से 20 जिले में इस कानून के अंतर्गत कार्य ’ाुरू हो चुका हैं देश के स्तर पर देखें तो सार्वधिक जिले झारखंड को ही मिला है। यह कोई खुश नसीबी की बात नहीं है। ज्ञात हो कि झारखंड की आधी से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं। भूख से मौत और पलायन एक बड़ी गंभीर समस्या है। लम्बे समय से झारखण्ड के कई जिले के लोग देखते आ रहे कई योजना आई और गई किन्तु झारखण्ड के गरीबी को समाप्त नही कर पाये और फिर एक कानून गरीबी और भूख को मिटाने के लिए लाया गया किन्तु इसे गांव में रह रही महिला को कोई लाभ नही मिल पा रही हैं क्योंकि झारखण्ड की गांव की महिलाएं निरक्षता के मार से उबर नही पाया हैं और रोजगार गांरटी कानून के द्वारा महिलाओं को कम लाभ उठा पा रही जिसका नतीजा यह हुआ कि वे दुसरे ’ाहरों की ओर पलायन कर रोजगार तला’ा कर रही हैंझारखंड जैसे राज्य में जहाँ गरीबी और बेरोजगारी है। लोग रोजी रोजगार के लिये पलायन कर रहे हो तथा किसी तरह 2 जून की रोटी जुगार मुश्किल हो रहा है। रोजगार गारंटी कानून को लागू करने व हर संभव हर स्तर पर लागू करने का प्रयास ना कामबयाब ही दिखाई दे रहा हैं। झारखण्ड के जिला गिरिडीह में महिलाअेां के पास रोजगार के नाम पर कुछ भी नही मिला कई दलित परिवार हैं जिनके लड़कीया गरीबी के कारण बेच दिये जा रहे हैं। एक “ाोध के आधार पर लिखी गयी किताब (गिरिडीह की बेटी रूप की मंडी )के आधार पर कई सौ लडकियां दूसरे “ाहरों में बाह कर बेच दी गयी। भूख और गरीबी ने सौदा सिफ लडकियो का ही होता रहा है।दलितो पर कार्यरत रामदेव ने लोगों को बताया कि कोई भी कानून लोगों के अधिकार के लिए है। इस कानून को जमीन में उतारने की जरूरत है। यह कानून आपके मांग और पहल पर निर्भर करता है। रोजगार गांरटी कानून, जाॅब कार्ड के बारे में लोगो को जानकारी सरकार कि ओर से देनी चाहिए। झारखण्ड में पंचायत चुनाव नही हुआ हैं। चुनाव नही होने के कारण कई सरकारी योजना जमीन स्तर पर नही उतारा जा सका हैं। जनती अपने व्यवस्था के अन्तर्गत नही आयेगी तब तक लोगो का विकास संभव नही तब तक भूख और गरीबी समाप्त नही हो सकती है। गिरीडीह जिले के महिलाएं रोजगार की खोज में हैं किन्तु इस योजना के बारे में महिलाओ को कम जानकारी हैं। जनकारी के अभाव में लोगो को योजना का लाभ नही हो पा रहा है।लक्ष्मी चरण महतो ने कहा कि आजादी के बाद हमें जो शक्ति मिली है। यह जनाधार को मजबूत करने के लिए मिला है। आनेवाले समय में हम अधिकार और अधिकारियों की यथार्थता को जानेंगे। इसके नहीं मिलने पर कानूनी हक प्राप्त करेंगे। महिलाओं को समाज में समान दर्जा प्राप्त होगा। हर बार महिलाएं पीछे छूट जाती रही है। उन्हे किसी भी योजना का लाभ नही हो पाता है। क्येां कि ब्लांॅक स्तर पर बिचैलिया किस्म के लोग ज्यादा रहते है। उनका कहना हैं कि यदि कुछ महिला को रेाजगार मिल भी गया तो तो उसे समय पर भूक्तान नही हो पा रहा है। जिससे आधा अधूरे काम कर महिला महानगर की ओर पलायन करने में ज्यादा रूचि ले रही है तथा काम कैसे-कैसे प्राप्त किया जा सकता है आवेदन का प्रारूप क्या होगा ? आप हमें कैसा सहयोग करते रहेंगे ? आपकी इसमें अभिरूचि की क्या पेशा है ? आदि क बारे में महिला को कोई जानकारी नही हैं।चंद्रशेखर ने कहा कि गिरीडीह के गंाव में नारेगा के तहत जितने काम दिये जाएगे उस काम से जो होना हैं उससे आम आदमी को कोई लाभ नही मिलेंगा क्यों कि यह क्षेत्र कोयला के रहा हैं आधी से ज्यादा महिलाएं कोयला निकाल कर प्रति दिन 150 रूपया कमाती है। इस योजना के तहत हमें सौ रूपये से भी कम पैसा मिलेगा तथा कोयला खदान से विस्थाप हुए समूदाय को तालाब और रोड़ से क्या मतलब वो तो अपने जीविका और अपने स्थान के लिए दर दर भटक रहें है।

1 टिप्पणी:

36solutions ने कहा…

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