सोमवार, 29 सितंबर 2008

सरकारी स्कूल में बुनियादी जरूरत से बच्चे वंचित

अलोका रांची

भारत देश में सरकारी स्कूलों का भाग्य बदला नहीं जा रहा है। भाग्य को बदलने के लिए गुणवत्त "िाक्षा पर काम करने की जरूरत है। सरकारी स्कूलों के गिरतें स्तर से शक्षा के गुणकारी के स्तर का पता लगता है। सरकारी "िाक्षा के क्षेत्र में "िाक्षा को सुधारने का कोई प्रयास अब तक नहीं किया है। भारत गरीबों और मेहनतक"ा लोगों का दे"ा है। वह राज्य कृ'िा तथा जंगल प्रधान रहा है, सबसे अधिक गरीब जीवन बिताने वाले किसान, मज+दूर, आदिवासी तथा दलित लोग निवास करते है। जहां "िाक्षा नाममात्र या केवल दाखिला ही रह गया है। दाखिले का महत्वपूर्ण क्षेत्र सरकारी स्कूल ही रहें है। 80ः गरीब परिवारों के बच्चें सरकारी स्कूल में पढ़ते है। जिसमें आधे से अधिक बच्चे स्कूल आना पसंद नहीं करते है। कुछ बच्चे मध्यान भोजन के प्रचलन के कारण आते है। स्कूल न आने के कारण पता लगाने पर जानकारी मिली की उन बच्चों को स्कूल के "िाक्षक पंसन्द नहीं है। बच्चों को अंग्रेज+ी नहीं आती और "िाक्षक अंग्रेज+ी याद करने के लिए दे देते है। गणित की जानकारी मास्टर नहीं देते है। पढ़ाई में मन न लगने से किताबी चीज+ों को सही तरीकों से जान नही पाते है। मास्टर कहते है परीक्षा के समय में स्कूल ज+रूर आ जाना। बच्चों के किताबी ज्ञान को बढ़ाने के लिए मास्टर व मैडम पहल नहीं करते है। झारखंड के सुदूर गांव तथा जंगल के क्षेत्र के साथ - साथ "ाहर के सरकारी स्कूलों का स्थिति भी काफी खराब है। चुंकि झारखंड जंगल क्षेत्र में होने के कारण नक्सलियों का आ"िायाना है, जिस कारण जंगल के क्षेत्र के सरकारी स्कूल पर "िाक्षक नही आते। कई स्थानों में वहां के स्थनीय लोगों के सहयोग से स्कूल चल रहे है, लेकिन इन्हें सरकार के लोगों से मदद नहीं मिलती है। एक उदाहरण के तौर पर रांची के राजधानी से सटा तैभारा पंचायत के पानसकम गांव में नक्सलियों का डेरा होने के डर एक से पांचवीं कक्षा के स्कूल बंद पड़ गये है। जबकि कोड़दा गांव में अब मास्टर के नेतृत्व में ही स्कूल चल रहा है। सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या कम है कारण की स्कूल में बिजली, पानी, "ाौचालयों की सुविधा न होने के कारण छात्र पानी पीनें या "ाौचालय जाने के बहाने बाहर जाते है और क्लास रूम में वापस नहीं आते है। स्कूल में मनोरंजन के साधनों का अभाव है। ये अभाव बच्चों को स्कूलों से दूर कर रही है। स्कूल में पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों से बच्चों को नहीं जोड़ा जा रहा है। सरकार के एक भी स्कूल ऐसा नहीं है जिसे "िाक्षा के गणवत्ता का कारण पहचान किया जा सके। झारखण्ड के वेब साइड में सरकार ने खुद ही अपने द्वारा चलाए जा रहे स्कूल को अच्छी श्रेणी में नहीं बता पा रहें है। जबकि उनके वेब साइट में प्राइभेट स्कूल के कई नाम अच्छी श्रेणी में दर्ज किये गये। ब्रिटि"ा ज+माने में बनें हर जिला स्कूल अपनी गरीमा को दर्"ााता था। आज+ादी के 60 सालों बाद उस जिला स्कूल की स्थिति खस्ता बन गई है। इन स्कूलों की "िाक्षा की गुणवत्ता को जानबूझ कर कमज+ोर किया गया ताकि वहां पढ़ने आने वाले आदिवासी, दलित, गरीब, विधवा के बच्चों में प्रतिभा न आ सकें। ताकि वे उच्च ओहदे की नौकरी को प्राप्त करने के सक्षम न हो सकें। झारखंड के अलग राज्य होने के बाद स्कूली क्षेत्र में लड़कों और लड़कियों में भेद किया जा रहा है। लड़कियों को स्कूल में "ाामिल करने के लिए साइकिल उपहार के रूप में दिए जा रहें है। ताकि लड़किया स्कूली "िाक्षा से वंचित न हो सकें। सरकारी स्तर पर लड़कियों के साथ भेदभाव करने से, समाज में और सरकारी स्कूल में लड़कें व लड़कियों के "िाक्षा के साथ अंतर किया जाता है। इस प्रक्रिया से लड़कियां गुणकारी "िाक्षा से दूर है क्योंकि "िाक्षा का प्राच्य व्यवस्था को बिना बदले किसी लड़की को साइकिल दान देने से "िाक्षा की गुणवत्ता में परिवर्तन के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाएं जा रहें है। सरकार खुद जि+म्मेदारी "िाक्षा को कम करने में। झारखंड सरकार ने सरकारी स्कूल के बच्चों को फेल नहीं करने की घो'ाणा की है, साथ ही यह घो'ाण कर दी हैं कि जिस स्कूल में जिस कक्षा का बच्चा फेल करेगा असके टिचर को निलंबित कर दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में "िाक्षिकों के ऊपर दबाव बना कर पास करना ही है। ऐसी स्थिति में बच्चें को पढ़ाने और पाठयपुस्तक का अभ्यास लगातार नहीं करा पाते है। बच्चें को भी अपने पाठयपुस्तक के अभ्यास लगातार नहीं होने पर उनके दिमागी विकास सिमट कर रह जाती है। जिससे बच्चों में रचनात्मक कार्य करने की प्रवृत्ति समाप्त हो जाती है। यही कारण है कि सरकारी स्कूल से निकलने वाले गरीब मां बाप के बच्चें दे"ा के उच्च पदों व स्थानों के अनुभव से वंचित रह जाते है और एक दो निकल भी गये ंतो उनका कार्य सफल नहीं माना जाता है।सुझाव - बच्चों का मानसिक विकास रचनात्मक कार्यों से होता है। वह स्वंय करेगा जब उसकी काम के प्रति लगन बढ़ेगी। इससे वह खुद को जोडेगा और आसमास के लोगों को भी जानेंगा। बच्चें का विकास स्कूल के विकास से जुड़ा हुआ है। बच्चें के विकास से गांव, समाज तथा समुदाय का विकास संभव है। "िाक्षा स्वास्थ्य, पानी बिजली के साथ तकनीकि क्षेत्र के ज्ञान को बच्चों तक पहुंचाया जाए। विज्ञान से संबधित प्रयोग "ाालाओं का निर्माण सरकारी स्कूल में बच्चों को जोड़ने के काम के साथ "िाक्षा को गुणकारी बना सकता है।

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