सोमवार, 22 सितंबर 2008

वरिष्ठ लेखिका प्रभा खेतान नहीं रहीं

कोलकाता. 20 सितंबर 2008
सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ. प्रभा खेतान नहीं रहीं. 66 वर्षीय प्रभा खेतान ने कल देर रात कोलकाता में अंतिम सांस ली. दो दिन पहले ही उन्हें सांस में तकलीफ की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शुक्रवार को उनकी बाईपास सर्जरी की गई थी, जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई.1 नवंबर 1942 को जन्मी प्रभा खेतान ने आओ पेपे घर चलें, पीली आंधी, अपरिचित उजाले, छिन्नमस्ता, बाजार बीच बाजार के खिलाफ, उपनिवेश में स्त्री जैसी रचनाओं से हिंदी जगत में अपनी महत्वपूर्ण जगह बनाई थी.

सिमोन द बोउवा की पुस्तक ‘दि सेकेंड सेक्स’ के अनुवाद ‘स्त्री उपेक्षिता’ ने उन्हें स्त्री विमर्श की पैरोकार के तौर पर पहचान दी. कुछ समय पहले आई उनकी आत्मकथा 'अन्या से अनन्या' को लेकर भी हिंदी साहित्य में विमर्श का एक सिलसिला शुरु हुआ था.

कोलकाता के व्यवसायी जगत में भी प्रभा खेतान ने अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई थी। वे कोलकाता चेंबर ऑफ कामर्स की पहली महिला अध्यक्ष भी रही थीं.उनकी अंत्येष्टि रविवार को कोलकाता के नीमतल्ला घाट में संपन्न होगी.

साभार रविवार से

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