गुरुवार, 24 जनवरी 2008

तलाक से पर्यावरण को भी नुकसान

भास्कर नेटवर्क
नई दिल्ली. किसी भी पुरुष या महिला के लिए तलाक एक जिंदगी के अंत जैसा ही है। तलाक, इन तीन शब्दों से एक परिवार का पूरा सुख-चैन, खुशियां, प्यार और विश्वास टूट जाता है। विदेशों में भले ही तलाक के मामलों को गंभीरता से न लिया जाए, लेकिन भारत में यह एक गंभीर मसला है। तलाक के मामलों में दिनोंदिन हो रही वृद्धि ने परिवार कल्याण के लिए काम करने वालों की नींद उड़ा दी है। अब हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया है कि तलाक से पर्यावरण को भी खतरा पहुंचता है। कैसे होता है पर्यावरण को नुकसानवैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया कि ऐसे मामलों में पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। शोधकर्ताओं के अनुसार अलग-अलग घर होने से बिजली के बिल में 53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पानी का उपयोग 42 प्रतिशत तक बढ़ गया है। यह सर्वे 12 देशों में किया गया है। अकेले अमेरिका में 2005 में तलाक के बाद घरों में 73 अरब किलोवॉट बिजली अधिक खर्च हुई है। यह बिजली ब्रिटेन में खर्च होने वाली बिजली की कुल खपत के पांचवे हिस्से के बराबर है। अमेरिका में एक-दूसरे से अलग हुए कपल लगभग 3.85 करोड़ कमरों का उपयोग करते हैं।
आंकड़े कहते हैंआंकड़ों की मानें तो तलाकशुदा दंपति हर मामले में दोगुना खर्च करते हैं। मसलन परिवार बंटने से प्रोडक्ट में 38 प्रतिशत, पैकेजिंग में 42 प्रतिशत, बिजली में में 55 प्रतिशत और गैस में 61 प्रतिशत तक की खपत अधिक होती है। इसके साथ ही जो लोग अकेले रहते हैं वो प्रतिवर्ष डेढ़ टन कचरा निकालते हैं। यह कचरा चार परिवारों के कचरे के बराबर है। इस तरह बढ़ती है प्रॉपर्टीमिशीगन यूनिवर्सिटी के जियानगो लियु ने कहा कि अलग हुए दंपति को रहने के लिए अलग-अलग घर की जरूरत होती है। इस लिहाज से एक घर दो घरों में बंट जाता है। इस शोध की रिपोर्ट प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुई है। एक अनुमान के मुताबिक शादी के बाद अलग हुए दंपती ज्यादा प्रॉपर्टी खरीदते हैं। रोचक कारणखर्राटे लेना, खाने-पीने की आदतें, ड्रेस सेंस, एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश करना आदि। बढ़ गई अतिरिक्त कमरों की संख्या लियु ने इस रिसर्च में पाया कि पिछले तीन दशकों में अमेरिका में तलाक के बाद अलग रहने वाले कपल्स के लिए अलग-अलग रूम का कल्चर बढ़ा है। इसके चलते वहां 3.85 करोड़ अतिरिक्त कमरे बढ़ गए हैं। इस पर एन्वायर्नमेंट, डेवलपमेंट एंड सस्टेन जर्नल में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले व्यक्ति का अलग रहना भी एक तरह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। कुछ और तथ्यदिल्ली की जिला अदालत में तलाक के लिए हर दिन कम से कम 40 आवेदन आते हैं। हैदराबाद और सिकंदराबाद में यह संख्या 100 से ऊपर पहुंच जाता है। पिछले कुछ सालों में इस संख्या में 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। चेन्नई के तीन फैमिली कोर्ट में इस समय तलाक के 3000 मामले चल रहे हैं। गत वर्ष इस अदालत ने तलाक के 1500 मामलों का सफलतापूर्वक निराकरण किया था। इसी वर्ष जनवरी से सितंबर के बीच मुंबई में तलाक के 8941 मामले सामने आए हैं। जुलाई से सितंबर माह के बीच ही तलाक के लिए 2932 आवेदन दर्ज किए गए हैं। युवा जल्दी लेते हैं तलाकमुंबई के एक फैमिली कोर्ट की काउंसलर माधवी देसाई ने बताया कि तलाक लेने वाले ज्यादातर दंपति युवा होते हैं। उनकी उम्र 30 साल से भी कम होती है और शादी को बमुश्किल एक साल भी पूरा नहीं होता है। क्रेटॉन यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर मैरिज एंड फैमिली की एक रिपोर्ट के अनुसार समय, पैसा और सेक्स ये तीन तलाक की मुख्य वजह हैं। इसके अलावा एक-दूसरे से ज्यादा अपेक्षाएं रखना, घर के कामकाज को लेकर होने वाली दिक्कत भी तलाक के अन्य कारण हैं।

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